नहीं बिलकुल ही नहीं.. क्योंकि उनकी दुनिया मे था खडा,
भेदभाव पैसा रिश्ते और इन आऊस लेविस डेकोरेशनस
नहीं हैं भाई सारी साहब.. फिर भी ये भी घर है इन सबमेशन,
घर है ये अपना और जी.. साहब थे तुम.. और मत बोलो हो एक भाई,
दिल से खून से या चलो वैसे ही.. पर नही थी कहने मे कोई गहराई,
एक अपने कारोबार का सशक्त यहाँ बना अनफिट और रोंदू,
खुद होता वहाँ तो क्या करता क्या रहता बना एक भोंदू,
बिल्कुल नही.. टैक्सी आती कार आती या फिर खुद के अपने आते,
पर दो माह अपने लिए सिर्फ भाई भाई .. पर कौन सा और किस खाते,
चलो फिर भी.. पर फिर भी कितना समझा गर दिल से कहा था भाई,
ईश्वर जाने और ईश्वर ही समझेंगे इस खुदगर्जी वाली प्रीत पराई,
पैसा पैसा ही तो था और पैसा अब भी है इनके जीवन मे रिश्ते,
अमीर हो तो बुला लोगे.. पर गरीब को भी क्या कह सकते हो आ न यार इस रस्ते...
कभी नही.. But I let go n move on .. 🙏🙏..
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